कुत्ते की कितनी प्रजातियां हुई। जगंली से हाई ब्रिड हो गया कुत्ता। घर में
पलंग पर सोने लगा कुत्ता। गाड़ी में घूमने लगा कुत्ता। कुत्तों को अंग्रेजी का
नया-नया नाम मिला। लेकिन इस राज में जो सम्मान हासिल हुआ है, वो कभी नहीं हुआ।
पहली बार इतने बड़े नेता, अभिनेता से कुत्ते की तुलना हो रही है। कुत्ते का कद बढ़
रहा है।
नाम तो धर्मेंद्र ने भी लिया था कुत्ते का। लेकिन वो नेगेटिव था। फिल्मी था। रमेश सिप्पी ने कुत्ते के नाम का सिर्फ इस्तेमाल किया। कुत्ते का नाम लेकर पैसा कमाया लेकिन सम्मान नहीं दिया। बसंती को नाचने तक से मना करवा दिया था रमेश सिप्पी ने। लेकिन 40 बरस बाद आज कुत्ता इतरा रहा है।
गुरूड़ हो भी क्यों ना। दुनिया की सबसे बड़ी सियासी पार्टी के बड़े नेता, उसके सांसद, अभिनेतामय नेता की तुलना कुत्ते से हो रही है। देश के बड़े-बड़े मंत्री, सत्ताधारी दल के नेता के मुंह से अपना नाम सुनकर कुत्ता अह्लादित हो रहा है। भाव विभोर होकर एक बुजुर्ग कुत्ते ने अपने बच्चों को एक किस्सा भी सुनाया कि कैसे एक मुख्यमंत्री ने आदर के साथ उसका नाम लिया जो प्रधानमंत्री बन गया।
धन्य हिंदुस्तान। धन्य लोकतंत्र। और धन्य यहां के नेता। जिन्होंने कुत्ते को इतनी अदब बख्शी है। कुत्ता समाज इस सम्मान से अभिभूत है। जब तक सूरज चांद रहेगा। कुत्तों के देह में प्राण रहेगा। तब तक माननीयों के लिए कुत्तों के दिल में सम्मान रहेगा। अब कृतज्ञ कुत्ता समाज इन माननीयों को सम्मानित करेगा। कुत्तों का मान बढ़ानेवाले माननीयों को “कुत्ता रत्न” दिया जाएगा।
हालांकि कुछ पलटू नेताओं से कुत्ता समाज नाराज है। सरकार को ज्ञापन सौंपने
वाला है। सियासत के इस कुत्ता काल में किसी कुत्ते को कुकुर समझने की भूल न करें। कुत्ता
अब कुछ दिनों में ‘कुत्ता जी’ होनेवाला है। इसलिए
उसके स्वाभिमान पर चोट करना बंद हो। अगर एक बार किसी की तुलना कुत्ते से कर दी तो
कर दी। फिर पलट नहीं सकते। कुत्ता समाज ने मांग की है कि इन पलटू नेताओं पर कड़ी
कार्रवाई को लेकर कानून में संशोधन का प्रस्ताव संसद में पास हो।
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