शनिवार, 22 जुलाई 2017

इजरायल की अनकही बातें

इलजारयल...एक ऐसा देश जो चारों तरफ से दुश्मन देशों से घिरा हुआ है...इसके बाजवूद किसी की हिम्मत नहीं होती है कि उसकी तरफ आंख उठाकर देख सके....ऐसा यूं ही मुमकिन नहीं हुआ है....इसके पीछे है इजरायल के लोगों की स्वाभिमानी और देशभक्त सोच.। 
अब हम आपको बताते हैं कि क्या है इजरायल की वो खासियतें, जो उसको सबसे अलग और आत्मविश्वास से लबरेज करती है। असल दुनिया के मानचित्र पर इजरायल का जन्म 1948 में हुआ। देश की मान्यता मिलते ही अरब देशों ने इजरायल पर अटैक कर दिया....लेकिन इजरायल से जीत नहीं पाए...इसके बाद इजरायल पर 6 बार हमला हुआ,,. लेकिन हर बार इजरायल आगे ही बढ़ता गया। इजरायल के सभी स्टूडेंट्स, चाहे वह लड़का हो या लड़की, सभी को हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अनिवार्य रूप से मिलिट्री सर्विस जॉइन करनी पड़ती है...इजरायल की सेना में आधे से ज्यादा लड़कियां है।
इजरायल का एक ही मंत्र है कि किसी भी आतंकी घटना के बाद एक के बदले दुश्मन के 50 लोगों को मारो...फिलिस्तीनी आतंकवादियो ने 1972 के म्यूनिख ओलंपिक गेम्स विलेज में घुसकर 11 इजरायली खिलाडियों की हत्या कर दी थी... तब प्रधानमंत्री ने सारे मृत खिलाड़ियो के घरवालों को खुद फोन करके कहा की हम बदला लेकर रहेंगे...और उसके बाद  इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने अलग-अलग देशों से ढूंढकर सभी आतंकियों को मार गिराया।
दुनिया में सिर्फ इजराय ही यहुदियों का देश है...दुनिया में किसी भी देश में पैदा होने वाले को इजराय की नागरिकता मिल जाती है...यहां की भाषा हिब्रु है...मध्यकाल में हिब्रु का भाषा का आतं हो गया । लेकिन इजरायल के जन्म के बाद इसे राष्ट्रभाषा बनाया गया।
इजरायल में साढ़े तीन हजार से भी ज्यादा टेक्नॉलोजी कंपनी हैं...मोटोरोला कंपनी ने पहला फोन इजरायल में ही बनाया था...माइक्रोसॉफ्ट के लिए पेंटीएम चिप, यूएसपी पेंड्राइव, एंटी वायरस, पहली वॉयस मेल तकनीक यहीं विकसित की गई थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि हर पाकिस्तानी पासपोर्ट पर लिखा होता है कि यह पासपोर्ट इजरायल को छोड़कर दुनिया के सभी देशो में मान्य है।
.इजरायली बैंक द्वारा जारी नोट को दृष्टिहीन भी पहचान सकते हैं, क्योंकि उसमें ब्रेल लिपि का भी इस्तेमाल किया जाता है...इजरायल की वायुसेना दुनिया में चौथे नंबर की वायुसेना है।  इजरायल दुनिया का इकलौता ऐसा देश है, जो समूचा एंटी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम से लैस है। इजरायल की ओर जाने वाली हर मिसाइल रास्ते में ही दम तोड़ देती है।
इजरायल दुनिया में उन 9 देशों में शामिल है, जिसके पास अपना सेटेलाइट सिस्टम है। इजरायल अपनी जरुरत का 93 प्रतिशत खाद्य पदार्थ खुद पैदा करता है...इजरायल के कृषि उत्पादों में 25 साल में सात गुणा बढ़ोतरी हुई है, जबकि पानी का इस्तेमाल जितना किया जाता था, उतना ही अब भी किया जा रहा है.।
इजरायल में 137 ऑफिशियल बीच हैं। जबकि इजरायल के पास महज 273 किमी समुद्री तट है। इजरायल देश जब आजाद हुआ तो पार्लियामेंट के पहले रिजॉल्यूशन में भारत की प्रशंसा की थी कि भारत ही ऐसा देश है, जहां यहुदी रहते हैं और उन्हें कभी अपमानित नहीं किया जाता...लेकिन संयोग देखिए की 70 सालों में कोई भारतीय प्रधानमंत्री इजरायल तक नहीं पहुंचा...जबकि भारत के दुश्मनों से हर लड़ाई में इजरायल ने भारत का सपोर्ट किया था।

सियाचिन के वीरों को मोदी का तोहफा

एक विशाल हिमपर्वत...ज़मीन ऐसी बंजर और दर्रे इतने ऊंचे कि जहां तक, पक्के दोस्त या फिर कट्टर दुश्मन ही पहुंच सकते हैं...चारों तरफ सफेद बर्फ की मोटी चादर...हाड़ गला देने वाली ठंड...जहां 15 सेकेंड में ही शरीर कोई खाली हिस्सा सुन्न पड़ सकता है...कहीं हज़ारों फ़ुट ऊंचे पहाड़ तो कहीं हजारों फूट गहरी खाइयां... न पेड़-पौधे, न जानवर, न पक्षी....उस जगह का नाम है सियाचिन...जो दुनिया का सबसे ऊंचा बॉर्डर है... जहां तैनात रहती है हिमयोद्धाओं की टोली सरहद की सुरक्षा के लिए। 

सियाचिन में सैनिकों के लिए दुश्मनों की गोली से ज्यादा खतरनाक बर्फ के टुकड़े होते हैं...पिछले 30 सालों में तकरीबन 900 जवान मौसम की वजह से शहीद हो गए...यहां ठंड के मौसम में माइनस 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पुहंच जाता है...इतने बर्फ रहते हैं कि अगर सूरज की रोशनी बर्फ से पड़ने के बाद किसी का आंख में चली जाए तो वो शख्स अंधा हो सकता है...इस जगह पर साल में 365 दिन हाथ में बंदूक थामे खड़े रहते हैं सेना के जवान।

सियाचिन में करीब 10 हजार सैनिक तैनात हैं। सैनिक कपड़ों की कई तह पहनते हैं और सबसे ऊपर जो कोट पहनते हैं उसे स्नो कोट कहते हैं..सैनिक लकड़ी की चौकियों पर स्लिपिंग बैग में सोते हैं। कभी-कभी ऑक्सिजन की कमी से सोते-सोते ही सैनिक की मौत हो जाती है.,,,सैनिक न नहाते हैं और न ही दाढ़ी बनाते हैं।

एक पर्वतारोही की तरह काम करने वाले ये सैनिक पाकिस्तान और चीन पर हर पल निगाहें जमाए रहते हैं...हर वक्त मुश्किलों से लड़ने वाले सैनिकों का दर्द मोदी भी समझते हैं...यही वजह है कि मोदी जब देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठे तो अपनी पहली दिवाली 12 हजार फीट ऊंचे बर्फ के टीले पर सैनिकों के साथ मनाया...सियाचिन में सैनिकों के साथ खड़े होने वाले पहले प्रधानमंत्री थे मोदी। 

सियाचिन में सैनिकों पर हर दिन 5 करोड़ से ज्यादा का खर्च आता है...लेकिन ज़िंदगी को दांव पर लगाकर सरहद की सुरक्षा में लगे इन हिमयोद्धाओं को महज 14 हजार रूपये अलाउंस मिलता था। लेकिन  अब मोदी सरकार ने जवानों का भत्ता 14 हजार से बढ़ाकर 30 हजार रूपये कर दिया है। जबकि अफसरों का भत्ता 21 हजार से बढ़ाकर 42 हजार 500 रूपये कर दिया है। सैनिकों को ये फायदा 1 जुलाई से मिलना शुरू हो चुका है। सियाचीन में तैनात जवानों और अफसरों को ये भत्ता मुश्किल परिस्थितियों में काम करने के एवज में दिया जाता है। रक्षा विशेषज्ञ सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं...कह रहे हैं कि जिस हालात में जिंदगी को दांव पर  लगाकर सेना सियाचिन में सीमा की सुरक्षा में लगती रहती है, उनके लिए तो ये जरूरी ही है। 

सियाचिन की चोटी पर तैनात जवानों को ठीक से खाना भी नसीब नहीं होता है...विपरित परस्थितियों में दुश्मनों से टकराने के लिए तैयार रहने वाले भारत के बहादुर सपूतों के लिए मोदी सरकार ने तोहफा दिया है। 

मानसरोवर की अनकही बातें

कैलाश मानसरोवर....नाम सुनते ही आपके जेहन में जो तस्वीरें घूमती हैं...वो बेहद आनंद देती है...आस्था और विश्वास से ओतप्रोत हो जाता है मन,...आप किसी भी धर्म के हों...हिंदू हों, बौद्ध या फिर जैन या सिख....आप आस्था के अट्टालिका पर पहुंच जाते हैं सोचते-सोचते...हर साल एक बड़ा जत्था जाता है कैलाश मानसरोवर के लिए...हिंदुस्तान के कोने-कोने से लोग मानसरोवर पहुंचते हैं...मुश्किलों की बेड़ियों को तोड़ते हुए । 
जिस कैलाश मानसरोवर को आप हिंदुओं की आस्था का महाकेंद्र मानते हैं, वो असल में दूसरे धर्मों के लोगों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है। हिंदुओं के लिए ये महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है...कहते हैं कि यहां स्वयंव भगवान शिव निवास करते हैं। बौद्ध धर्म को मानने वाले कहते हैं कि यहीं पर रानी माया को भगवान बुद्ध की पहचान हुई थी जैन धर्म की माने तो आदिनाथ ऋषभदेव का यह निर्वाण स्थल 'अष्टपद' है। कुछ लोगों का मानना यह भी है कि गुरु नानक ने भी यहां कुछ दिन रुककर ध्यान किया था।   
कैलाश मानसरोवर को कुबेर की नगरी भी कहा जाता है...यह चार नदियों से घिरा हुआ है...कैलाश के चारों दिशाओं में विभिन्न जानवरों के मुख है जिसमें से नदियों का उद्गम होता है  ... पश्चिम में सतलुज नदी है...पूरब में ब्रह्मपुत्र नदी है...दक्षिण में करनाली तो उत्तर में सिंधु नदी बहती है। 
कैलाश मानसरोवर तिब्बत में स्थित है, जहां चीन का कब्जा है। कैलाश मानसरोवर जाने का एक रास्ता उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से होकर जाता है। दूसरा रास्ता सिक्किम के नाथुला दर्रे से होकर गुजरता है।उत्तराखंड के रास्ते राजने में 24 दिन और सिक्किम होकर जाने में 21 दिन लगते हैं। चीन का बॉर्डर पार करने के बाद ही कैलाश मानसरोवर पहुंचा जा सकता है।
बर्फीले रास्तों से होकर कैलाश मानसरोवर का सफर तय करना पड़ता है...मानसरोवर एक झील है...कहते हैं कि इसे ब्रह्मा ने बनाया था।  इस झील पर जाने का सबसे बेहत समय सुबह 3 बजे से 5 के बीच होता है, जिसे ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। झील लगभग 320 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। दर्रा समाप्त होने पर तीर्थपुरी नामक स्थान है जहाँ गर्म पानी के झरने हैं। 
ड्रोल्मा से नीचे बर्फ़ से हमेशा ढकी रहने वाली ल्हादू घाटी में स्थित एक किलोमीटर परिधि वाला पन्ने के रंग की झील है, जिसे गौरीकुंड कहते हैं...यह कुंड हमेशा बर्फ़ से ढंका रहता है, लेकिन तीर्थयात्री बर्फ़ हटाकर इस कुंड के पवित्र जल में स्नान करते हैं। 
कैलाश पर्वत कुल 48 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। घोडे और याक पर चढ़कर ब्रह्मपुत्र नदी को पार करके कठिन रास्ते से होते हुये यात्री डेरापुफ पहुंचते हैं। जहां ठीक सामने कैलाश के दर्शन होते हैं। कैलाश पर्वत के दक्षिण भाग को नीलम, पूरब को क्रिस्टल, पश्चिम को रूबी और उत्तर को स्वर्ण रूप में माना जाता है।  
कैलाश मनसरोवर यात्रा विदेश मंत्रालय के जरिए होती है। हर साल ये यात्रा जून से सितंबर महीने के बीच में होती है।  70 साल का कोई शख्स को तंदरुस्त हो इस यात्रा में शामिल हो सकता है...केंद्र सरकार की तरफ से कोई वत्तीय सहायत नहीं मिलती...हालांकि अलग-अलग राज्य सरकारों ने अपने सूबे के यात्रियों के लिए सब्सिडी का ऐलान जरूर किया है।