रविवार, 8 नवंबर 2015

लालू हैं अब साथ में...नीतीश जी संभलना !

यूं तो पांचवीं बार लेकिन सीधे तौर पर देखें तो लगातार तीसरी बार नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। लोगों ने प्रचंड बहुमत दिया है। उम्मीद है कि वो कुछ बेहतर करेंगे। जाहिर है ताज के साथ-साथ नीतीश कुमार के सामने चुनौतियों का अंबार भी है। नीतीश कुमार को हर डेग संभालकर उठाना होगा।

पिछली बार जब एनडीए के साथ नीतीश कुमार थे तो इससे कहीं ज़्यादा सीटें मिली थी। अपेक्षाकृत लोग ज्यादा आश्वस्त भी थे। लेकिन इस बार चूकि वो लालू यादव के साथ हैं। लोगों के लिए लालू यादव के राज का अनुभव बहुत सुखद नहीं रहा है। लिहाजा लोग थोड़े बहुत आशंकित जरूर रहेंगे।

जिस तरह से जंगल राज की बात ज़ोर-ज़ोर से उछाली गई थी, इससे साफ है कि दिल्ली की मीडिया की नज़र भी नीतीश के इस शासनकाल पर पैनी रहेगी। खासकर सोशल मीडिया में नीतीश के कार्यकाल को हर दिन कसौटी पर कसा जाएगा। फिलहाल चाहे जो लगे, लेकिन इस कसौटी पर खरा उतरना नीतीश कुमार के लिए बड़ी चुनौती होगी।

नीतीश के इस सफर में पग-पग कांटें होंगे। क्योंकि अगले 5 साल तक अब लोगों का देखने का नज़रिया अब बहुत अलग होगा। अगर कहीं भी छोटी-मोटी घटनाएं होंगी। आपसी रंजिश में गोलियां चल जाएगी। मर्डर होगा। चोरी, डकैती, या लूट जैसी वारदात दो-चार एक साथ हो गई, तो इसे सीधे  जंगल राज से जोड़ा जाएगा।  लोग कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करेंगे।

अगर अपहरण की एक-दो घटनाएं हो गई। तो कहा जाएगा कि बिहार में फिर अपहरण उद्योग खुल गया। अगर कोई बिना बताए कोई 5 घंटे तक घर नहीं पहुंचा तो लोगों को किडनैप कर लिए जाने की आशंका होगी। और ये तमाम बातें मेन स्ट्रीम मीडिया से अलग सोशल मीडिया पर किस तरह चंद सेकेंड के भीतर विश्लेषण के साथ पसरती चली जाती है ये नीतीश कुमार भी अच्छी तरह जानते हैं और अब लालू यादव भी जान गए होंगे।

क्योंकि मोदी सरकार को लेकर भी ऐसा ही कुछ माहौल है। देश में कहीं भी, कभी भी, किसी भी मुस्लिमों को चोट आती है तो उसे सीधे मोदी से जोड़ दिया जाता है। क्योंकि मोदी सरकार या उनकी पार्टी मुस्लिमों को लेकर हमेशा संदेह में रही है। आरएसएस से जुड़े कुछ संगठनों के कार्यकर्ता उद्दंडता के चरम पर हैं। यही माइनस प्वॉइंट लालू यादव के साथ भी है। वो चाहे कितना भी विकास की बात कर लें, उद्दंडता को लेकर वो, उनकी पार्टी के कार्यकर्ता हमेशा संदेश के घेरे में रहे हैं। छोटी-मोटी घटनाओं को लेकर भी उनके ऊपर सवाल खड़े होंगे। 


एक बात और तथाकथित मोदी भक्त से ज्यादा खतरनाक हैं तथाकथित लालू भक्तमोदी भक्त तो जुबानों से वार करते हैं। लेकिन लालू भक्तों का इतिहास रहा है कि वो मुंह के साथ-साथ हाथ और लात का भी इस्तेमाल करते हैं। जाहिर है, इन भक्तों को संभालना नीतीश कुमार के लिए बड़ा टास्क होगा। 
खुद को हिंदुओं का ठेकेदार कहनेवाले हिंदू सेना सरीखे बेलगाम संगठन जिस तरह से मोदी सरकार के लिए परेशानी की वजह है, उसी तरह लालू भक्तों का झुंड नीतीश कुमार को परेशान करेगा।

इसके अलावा, विकास को भी रफ्तार देना होगा। रोजगार के विकल्प को सतह पर लाना होगा। अस्पतालों की स्थिति सुधारनी होगी। 10 सालों के शासनकाल में जो नहीं कर पाए। उसे करना पड़ेगा। यानी काम बहुत है। हर लिहाज से। कांटों के बीच से नीतीश को रास्ता निकालकर आगे 5 साल तक मुस्कुराते हुए संभलकर चलना होगा। जो आसान नहीं है।

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