शनिवार, 22 सितंबर 2012

आओ सरकार-सरकार खेलें....


आओ सरकार-सरकार खेलते हैं । एक गठबंधन बनाते हैं । मैं तुम्हें समर्थन दूंगा । तुम मुझे सहयोग करना । प्रधानमंत्री तुम्हारी पार्टी से । गृह, रक्षा, वित्त और विदेश मंत्री भी तुम अपनी पार्टी के नेता को बना लो । मुझे कोई मंत्रालय नहीं चाहिए । लेकिन हमारी पार्टी गठबंधन में रहेगी । हम बाहर से समर्थन करेंगे ।

तुम जब चाहो, जिस विभाग में चाहो घोटाला करना । जब मर्जी हो, किसी भी चीज की कीमत अपने हिसाब से बढ़ा लेना । मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है । लेकिन चूकि हमारी पार्टी गरीब, दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की पार्टी है, इसलिए हम रौल बैक की मांग करेंगे । समर्थन वापसी की धमकी भी देंगे । तुम्हारे खिलाफ मीडिया में बोलेंगे । नारे लगाएंगे । प्रदर्शन करेंगे । यहां तक कि तुम्हारी पार्टी और मंत्री को गरियाऐंगे भी । लेकिन तुम घबराना मत । हम समर्थन वापस नहीं लेंगे । अगर कोई दूसरी पार्टी समर्थन वापस लेती है तो भी हम सरकार गिरने नहीं देंगे । चाहे जैसे भी हो । सहयोग देकर समर्थन लेना पड़े तो भी ।

 लेकिन इसके बदले तुम मुझे विकास फंड के नाम पर मोटी रकम दे देना । इसमें कटौती बिल्कुल नहीं । क्योंकि मुझे भी राज्य का, अपने मंत्रिमंडल का और नेताओं का विकास करना है । हां, केन्द्र प्रायोजित कुछ योजनाएं भी  विशेष रूप से मेरे राज्य में चलती रहना चाहिए । मिल बांटकर काम करेंगे । सरकार चलती रहेगी । 

राज्य में मेरी सरकार है । वहां तुम्हारी समर्थन की जरूरत नहीं है । लेकिन सहयोग जरूर करते रहना । अगर किसी घोटाले को लेकर सीबीआई जांच की मांग हो, कोई दंगा वगैरह हो तो तुम अपने हिसाब से संभाल लेना ।

घोटाला मिल बांटकर करेंगे । विपक्ष अगर ज्यादा हो हल्ला करे तो एक जांच आयोग बना देना । लेकिन ख्याल रहे कि जब तक मैं ज़िंदा रहूं तब तक आयोग की रिपोर्ट नहीं आनी चाहिए । इसके लिए तुम आयोग का कार्यकाल बढ़ाते रहना ।

एक बात और । चूकि हम चुनाव अलग-अलग लड़ते हैं । आगे भी अलग-अलग ही चुनाव लड़ेंगे । इसलिए सार्वजनिक तौर पर तुम्हारे हर मुद्दे का हम विरोध करेंगे । लेकिन अंतिम में समर्थन हम तुम्हारी सरकार का ही करेंगे ।

कभी-कभी ऐसा मौका भी आएगा, जब लगेगा कि मैं विपक्ष के साथ जा रहा हूं । मीडिया ज्यादा ज़ोर देगी । लोगों को दिखाने के लिए कुछ ऐसा बयान मुझे देना पड़ेगा, जो तुम्हें अच्छा नहीं लग सकता है । लेकिन इसे दिल से मत लगाना । क्योंकि वो सारी बातें सिर्फ मीडिया के लिए होगी । आम जनता को दिखाने के लिए होगी ।

हां एक बात और सुनो । अगर दाम बढ़ाने को लेकर हालात ज्यादा बिगड़ने लगे तो एक आध रूपये 
जरूर घटा देना । तुम भी जनता की हक़ की बात कहकर वाहवाही लूटना । और मैं लोगों को बताऊंगा कि  मेरे दबाव में दाम घटाया गया है ।

मेरे खिलाफ सीबीआई में जितने भी केस हैं, उसकी फाइल बंद रहनी चाहिए । मुमकिन हो तो तमाम मामलों में मुझे बड़ी कर दिया जाए । या फिर जांच की रफ्तार धीमी कर दी जाए ।
तुम मेरी इन बातों का ध्यान रखना । 

हम सरकार-सरकार खेलते  हुए पांच साल यूं ही गुजार देंगे । और फिर चुनाव की घोषणा के बाद गठबंधन तोड़ देंगे । 

4 टिप्‍पणियां:

  1. राजनीतिक दलों के बारे में सही लिखा है....खासकर मुलायम तो पक्का ऐसे ही हैं...

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  2. राजनीति के खेल को समझने के लिए जरूरी होता है उसे समझना..तो इसे बहुत ही उम्दा तरीके से पेश किया है आपने सर...

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  3. अंकुर भाई किसी शायर ने कहा कि ... तुम अभी सियासत की ज़ुबान नहीं समझोगे... अभी तुम इंसान हो....

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  4. क्या बात है अंकुर जी, देखन में शांत लगें, बातें करें गंभीर, ऐसे ही लिखते रहिए और हम लोग पढ़ते रहेंगे.....

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