शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

AK 67


बेहद जिद्दी। महत्वाकांक्षी। कुछ करने की तमन्ना। खुद से असंतुष्ट। ज्यादा पाने की हसरत। बदलाव की ख्वाहिश। किसी भी हद तक जाने को तैयार। गिरकर संभलने वाला। मासूमियत से माफी मांगनेवाला। धरना-प्रदर्शन को गहना बनाने वाला। गांधी के रास्ते पर चलकर। लोगों को जोड़ने वाला। बेहद आम। ठिगना सा कद। ढिलाढाला हाफ सर्ट। स्वेटर। मामूली सा पैंट। सिर पर उम्मीदों की टोपी। सिर से गरदन तक मफलर। बोलते- बोलते खांसनेवाला। मफलरमैन। यानी अरविंद केजरीवाल। 

बात-बात पर धरना देना। कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ। कभी सरकार के खिलाफ। यू हीं पोल पर चढ़ जाना। बिजली का कनेक्शन जोड़ना। अंबानी-अडानी-वाड्रा पर आरोप लगाना।

अन्ना आंदोलन ।कौन भूल सकता है। केजरीवाल की प्लानिंग। सियासी पार्टियों की दगाबाजी। अहंकार में डूबे नेताओं की वो चुनौती।

बात-बात में पार्टी बनाई। लोगों में भरोसा जगाया। आम लोगों की बात की। उनसे मिला। उनकी सुनी। खुद की सुनाई। लोगों को सादगी में उम्मीद दिखी। लोग मफलर मैन के मुरीद हो गए। 

विरोधियों ने क्या नहीं कहा। अरजाक। नक्सली। नाली का कीड़ा। कुत्ता। और क्या-क्या। किसी ने गाली दी। किसी ने थप्पड़ मारा। बावजूद घबराया नहीं। गांधी को याद किया। और पाने की चाहत लिए। आगे बढ़ता गया। लोग जुड़ते गए। करवां बढ़ता गया। भीड़ बढ़ती गई। जीतने के लिए दिन-रात एक कर दिया।

कई बार अपने दगा दे गए। खुद को और मजबूत किया। अक्खर सेनापति की तरह। खुद भी लड़ता रहा। दूसरों का हौसला बढ़ता रहा। अहंकार को ललकारा। आम लोगों की बदौलत । उन्हें चुनौती दी। कांग्रेस को मटियामेट कर दिया। बीजेपी को बेहोश कर दिया। लोगों ने सिर-आखों पर चढ़ा लिया। 70 में 67 सीटें। कभी नहीं भूलेगा हिंदुस्तान।

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