हैलो केजरीलवाल जी
सबसे पहले आपको ढेर सारी बधाई कि आप नेता बन गए। आप में सुयोग्य नेता के गुण झलकने लगे हैं। आपके
बॉडी लैंग्वेज से। आप की भाषा से। आप की सोच से। आपके कारनामो से। उम्मीद नहीं थी
कि सियासत का सबसे बड़ा शस्त्र आप इतनी जल्दी उठा लेंगे। खैर, इतना तो पता था कि
आप में पेसेंस की कमी है। वो भी बात जब देश को लेकर हो। सत्ता को लेकर हो।
वैसे अच्छ ही किया आपने। आपका जो मौलिक मुद्दा था भ्रष्टाचार का वो
सिर्फ आंदोलन के लिए सही था। भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर सिर्फ अनशन कर सकते हैं। लोगों
को जेहनी तौर पर जोड़ सकते हैं। वोट नहीं बटोर सकते। खासकर दिल्ली से बाहर। विकास,
भ्रष्टाचार तो लिक्वीड और गैस टाइप मुद्दा है। जो जरा सा पानी में घुल जाता है या
हवा में उड़ जाता है। रानजीति के लिए ठोस मुद्दा चाहिए। जो दंगा और धर्मनिरपेक्षता
है। इसलिए आजकल आप जहां भी जाते हैं वहां ‘दंगा कांड’ वाचते सुनाई पड़ते हैं।
वैसे नेता का एक गुण तो आप में शुरू से रहा है। पलटीमार गुण। नेता लोग
बहुत जल्दी अपनी कही बात भूल जाते हैं। सुबह में कुछ और शाम में कुछ और।
प्रैक्टिकल पॉलिटिक्स का सबसे बड़ा योद्धा वो माना जाता है जो जितनी
आसानी से, जितने अधिक दिनों तक जनता को बेवकूफ बनाकर रखे। इसमें तो सर आप पक्का
ग्रैजुएट हैं। पीजी, पीएच की डिग्री लेने में अभी आपको वक्त लगेगा। क्योंकि आपके
वंश (राजनीति) में एक से बढ़कर एक महापुरूष पैदा हुए हैं। जिन्होंने सालों क्या
दशकों तक लोगों को सफलतापूर्वक बरगलाकर रखा। लेकिन आप भी कम नहीं हैं, जल्द ही इस
मामले में आप उन लोगों को पीछे छोड़ देंगे। बानगी तो आप दिखा ही चुके हैं।
एक और बात के लिए आपको शुक्रिया कहना चाहूंगा कि आपने “खास” लोगों को एक ही झटके
में ”आम” बना दिया। मीरा सान्याल, आशुतोष, राजमोहन गांधी
सरीखे लोगों को कितनी आसानी से आपने ने लोकसभा चुनाव का टिकट देकर आम आदमी बना दिया।
जवाब नहीं है आपका। आपने फर्रूखाबाद में आपने किसी अनजान विक्लांग को टिकट देने का
वादा किया था, लेकिन सशरीर तंदरुस्त फेमस आदमी को उम्मीदवार बना दिया।
सुने हैं कि आप भी लोकसभा चुनाव लड़ने वाले हैं। राखी बिड़लान को
उम्मदीवार बनाएंगे। बढ़िया हैं। जो अपनी अपनी जुबान पर कायम रहे वो नेता क्या।
जब आपने पार्टी बनाई थी तो सब यही कहते थे कि पार्टी तो बना ली, लेकिन
नेताओं वाला कमीनापन कहां से लाओगे। लेकिन आपने अपनी क्षमता का पूरा प्रमाण दिया।
आप हुनरमंद हैं। आप जिद्दी हैं। आप जो ठान लेते हैं वो करते हैं। और आप नेताओं के
तमाम गुण निरंतरता के साथ सीखते जा रहे हैं। ये शुभ संकेत हैं आपके सियासत के लिए।
आजकल आप नेताओं को चिट्ठी बहुत लिख रहे हैं, इसलिए सोचा मैं भी एक
चिट्ठी लिख दूं। मैं इसके प्रत्युत्तर की उम्मीद नहीं करता हूं। क्योंकि जब आपने
अपने गुरू अन्ना जी की चिट्ठी का जवाब नहीं दिया तो मुझे क्या खाक जवाब देंगे।
खैर, नेता लोग चिट्ठी का जवाब नहीं देते हैं। आंदोलनकारी देते हैं। जो अब आप रहे
नहीं।
धन्यबाद
देश का एक आम आदमी (टोपी रहित)
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