जीवट क्रिकेटर।
बेहतरीन बल्लेबाज। क्रिकेटर बनने का प्रेरणास्रोत। सफल दिग्दर्शक। और मृदुभाषी। 22
गज के पिच पर 38 इंच का बल्ला लेकर क्रिकेट को नई पहचान देनेवाले। क्रिकेट के
भगवान। मास्टर ब्लास्टर। शतकों के शहंशाह। रिकॉर्ड के बादशाह। रन बनाने की मशीन।
यानी सचिन तेंदुलकर। अब नीली जर्सी में मैदान पर नहीं दिखेंगे। सचिन अब वनडे
क्रिकेट नहीं खेलेंगे।
23 सालों तक बतौर बल्लेबाज विरोधियों पर भारी पड़ते
रहे। गेंदबाजों के सपनों में आते रहे। मैदान पर फिल्डरों का पसीना निकालते रहे।
सचिन ने वो किया, जो पहले किसी ने नहीं किया। वन डे क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक।
वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन। वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा मैन ऑफ द मैच।
वनडे क्रिकेट में पहला दोहरा शतक।
कभी किसी विवाद से
नाम नहीं जुड़ा। ड्रेसिंग रूम से मैदान तक। साथी खिलाड़ियों को सिखाते रहे। लोगों
को क्रिकेट देखना सिखाया। टीम की हार हो या जीत। हम सचिन को खेलते हुए देखना चाहते
थे। वो फॉर्म में रहे या ना रहे। सचिन को टीम में देखना चाहते थे। विरोधियों को
हमेशा बल्ले से जवाब दिया। हर आलोचना का उन्होंने सही वक्त पर सटीक जवाब दिया।
किसी का भी हर दिन
एक जैसा नहीं होता। सचिन भी अछूता नहीं रहे। उतार-चढ़ाव लगा रहा। कभी चोट की वजह
से। तो कभी बुरे फॉर्म की वजह से। उन्होंने भी बुरे दिन देखे। क्रिकेट के भगवान की
आलोचना भी हुई। जिन्होंने उनका खेल देखकर क्रिकेट खेलना सीखा। उसने भी सचिन को
संन्यास की सलाह देने लगे। कोई उम्र का हवाला
देता। तो कोई कुछ और कहता।
आखिरकार सचिन ने वही
किया। वन क्रिकेट को अलविदा कह दिया। सचिन की तुलना हम
किसी से नहीं कर सकते। क्योंकि पूरी शदी में एक ही सचिन पैदा होता है। इसलिए सचिन
एक ही रहेगा। सबसे अलग। सबसे जुदा। जब-जब प्वाइंट के ऊपर से चौका लगेगा, मास्टर
याद आएंगे।
सचिन ने आखिरी समय ने अपनी भद्द पिटवायी अब टैस्ट मैच मैच में भारत को देखते है कितने मैच हरवाकर बाहर जायेंगे।
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