हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट । गाड़ियों में लगाये जानेवाले नंबर प्लेट का सरकारी भर्सन । आम लोगों के लिए टेंशन । सरकारी बाबुओं के लिए लेनदेन का नया साधन । नौकरी करते हुए एक और पेंशन । परिवहन विभाग प्राधिकरण के केन्द्रों पर ठेलमठेल भीड़ । धक्का मुक्की । नंबर आते आते समय खत्म । वगैरह, वगैरह ।
ये गाड़ी मालिक की बात है । लेकिन सरकार को लगता है कि इस नंबर प्लेट के जरिए गाड़ियों के गलत इस्तेमाल से रोका जा सकता है। आतंकी जितनी आसानी से आतंकी घटनाओं में गाड़ियों का इस्तेलाम करते हैं, उस पर लगाम लगेगा। इसलिए इसे बनाने में काफी मशक्कत की गई है।
हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट एल्युमिनियम की बनी होती है । इसे रिपिट के जरिए गाड़ियों में लगाया जाता है। प्लेट को गाड़ियों में इस तरह लगाया जाता है कि वो टूट जाए, लेकिन उखड़ नहीं पाए । जब आप टूटा हुआ प्लेट लेकर जाएंगे, तभी दूसरा नंबर प्लेट मिलेगा । इतना ही नहीं, नंबर प्लेट पर सात अंकों का एक सिक्योरिटी कोड होगा, जिसकी मदद से वाहन की पूरा जानकारी पाई जा सकती है । इस नंबर प्लेट पर होलो ग्राम के साथ साथ रिफ्लेक्टर भी लगे हुए हैं, जो अंधेरे में लाइट पड़ने पर चमकेगा और नंबर को साफ साफ पढ़ा जा सकेगा । हर गाड़ी पर नंबर एक ही स्टाइल में होंगे। जिससे नंबर नोट करने में, आसानी होगी ।
नई गाड़ियों में नंबर प्लेट के लिए परिवहन विभाग ऑनलाइन संबंधित कंपनी से बात करेगा । एमएलओ से मिली ऑथराइजेशन स्लिप के बाद छह दिनों के भीतर प्लेट लगानी होगी । आपको स्लिप कटवाना होगा । ये स्लिप लेकर जाएंगे, तभी नंबर प्लेट मिलेगा । नंबर प्लेट के साथ साथ गाड़ी के पीछे भी विशेष स्टीकर लगाया जाएगा, जिसमें गाड़ी का इंजन, चेसिस, लेजर और रजिस्ट्रेशन नंबर होगा। सफेद या पीली प्लेट पर मशीन से नंबर लगाया जाता है। इसके बाद प्लेट पर लेमिनेशन की जाती है। मार्क नंबर का रेकॉर्ड बनाया जाता है । गाड़ी नंबर के रेकॉर्ड का एक नन रिमुवल कार्ड गाड़ी के पीछे लगाया जाता है।
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