गुरुवार, 24 जनवरी 2013

जांच एजेंसी के जरिए सांप-सीढी का खेल


जब बीजेपी की सरकार आएगी तो कहां जाओगे ? तब ना तुम्हें सोनिया गांधी बचाने आएंगी और ना ही चिदंबरम। अपनी कंपनी पर आयकर के सर्वे से बौखलाए भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी की ये धमकी आयकर अधिकारियों के लिए थी। अध्यक्ष पद की कुर्सी जाने से मायूस गडकरी जब नागपुर पहुंचे तो मन की भड़ास सारी सीमाएं तोड़कर बाहर निकल गई।
नितिन गडकरी ने ये बातें बातें यूं ही नहीं कही। गडकरी महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उनको ये पता है कि कैसे सत्ता की हनक पर बड़े-बड़े अधिकारियों से दूम हिलवाया जाता है। किस तरह सत्ता अपने फायदे के लिए सीबीआई, इनकम टैक्स, एएनआई जैसी जांच एजेंसी का इस्तेमाल करती है।
दरअसल नितिन गडकरी को लगता है कि कांग्रेस ने इनकम टैक्स के अधिकारियों का इस्तेमाल कर उन्हें परेशान कर रही है। बीजेपी कई बार ये आरोप लगा चुकी है कि कांग्रेस सीबीआई का इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए करती है। एफडीआई के मसले पर जब लोकसभा में सरकार की जीत हुई तो बीजेपी ने सीधे-सीधे ये कह दिया कि ये सरकार की नहीं बल्कि सीबीआई की जीत है। विपक्ष ने तो सीबीआई का उपनाम कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन तक रख दिया।  
महज दो दिन पहले इंडियन नेशनल लोक दल के सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को जब टीचर भर्ती घोटाले में दस-दस साल की सजा का एलान हुआ तो उसके ठीक अगले मिनट अभय चौटाला से लेकर आईएएलडी के छोटे कार्यकर्ताओं ने सीधे-सीधे आरोप लगा दिया कि सीबीआई का इस्तेमाल कर कांग्रेस ने उनके नेताओं को फंसाया है।
दरअसल सीबीआई के जरिए सांप सीढी का खेल कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने खेला है। जब जिसको मौका मिला उसने जांच एजेंसियों को मोहरा बनाकर भरपूर फायदा उठाया है। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे नेताओं को अपने इशारे पर नचवाया है। राजनीति में चाल, चरित्र और चेहरा की बात करनेवाली बीजेपी भी जब सत्ता में थी तो उस वक्त भी वाजपेयी सरकार पर सीबीआई के जरिए सांप-सीढी का खेल खेलने के आरोप लगे। 1998 में जब जयललिता ने बीजेपी को समर्थन दिया तो  करोड़ों के डिमांड ड्राफ्ट केस में सीबीआई जांच रोक दी। लेकिन जब 1999 में जयललिता ने वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस ले लिया तो सीबीआई ने बंद पड़ी फाइल खोली और पंद्रह महीने के भीतर ही चार्जशीट तैयार कर ली।  
लेकिन सीबीआई को कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन भी यूं ही नहीं कहा जाता। सीबीआई को लेकर सांप सीढी का खेल खेलने में कांग्रेस को महारत हासिल है। सीबीआई के बीन पर कांग्रेस ने मुलायम सिंह यादव से लेकर लालू यादव और मायावती तक को नचाया है। 2007 में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ सीबीआई जांच की शुरुआत हुई। आय से अधिक संपत्ति का केस बना। लेकिन परमाणु डील पर जब कांग्रेस को मुलायम के समर्थन की जरूरत पड़ी तो सीबीआई ने यू-टर्न ले लिया और केस दर्ज करने तक से भी इनकार कर दिया। कमोबेश यही खेल मायावती के साथ भी हुआ। एफडीआई के मसले पर समर्थन से पहले ताज कोरिडोर मामले में मायावती को क्लीन चिट मिल गई। यानी जब-जब मनमोहन सरकार को मुलायम और मायावती के समर्थन की जरूरत पड़ी तो सीबीआई और इनकम टैक्स के अधिकारी सक्रीय हो गए।
यानी सत्ता का सुख भोग चुकी हर पार्टी को ये पता है कि कैसे जांच एंजेंसियों के जरिए सांप सीढी का खेल खेला जाता है। कैसे और कहां विरोधियों को मात देने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल किया जाता है। और गडकरीजी यही मंशा पाल बैठे हैं कि 2014 में बीजेपी सरकार आएगी तो चुन चुनकर बदला लिया जाएगा। उसमें चाहे राजनीतिक विरोधी हों या फिर जांच अधिकारी।  


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