शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

सलमान खुर्शीद से सवाल

 महज 71 लाख के घोटाले के आरोप में सलमान खुर्शीद टूट जाएंगे ये उम्मीद नहीं थी । लेकिन खुर्शीद साहब टूटकर बिखर गए । विरोधियों को आरोप का जवाब इस अंदाज़ में देने लगे जैसे वो कानून मंत्री नहीं बल्कि पढ़े लिखे हिस्ट्री शीटर हों । अपनी खिसियाहट में कानून मंत्रालय की गरिमा को भी चकनाचूर कर दिया । मर्यादा की दीवार को लांघकर गुंडों की तरह खून बहाने की धमकी देने लगे । अब वो पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहते हैं कि  पत्रकार उनसे सवाल पूछने का हक खो दिया । अब कानून मंत्री खुर्शीद साहब ही बताएंगे कि आईपीसी की किस धारा में किसी मंत्री के खिलाफ रिपोर्ट चलाने पर पत्रकार को उससे सवाल पूछने का हक़ समाप्त हो जाता है । 
 केजरीवाल ने जब इस्तीफे की मांग की तो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ानेवाले खुर्शीद साहब उन्हें 'गटर स्नाइफ' बता दिया । विदेशी गाली । लेकिन हद तो तब हो गई जब केजरीवाल ने फार्रूखाबद जाकर खुर्शीद का विरोध करने की बात कही तो वो किताबों के काले अक्षर और कलम को छोड़कर खून बहाने की बात करने लगे । अब तीस बरस से राजनीति कर रहे सलमान खुर्शीद ही बेहतर बता सकते हैं कि मंत्री से इस्तीफा मांगने पर कोई कैसे गटर का कीड़ा हो जाता है ।   किसी सांसद के संसदीय क्षेत्र में जाकर विरोध करने पर आईपीसी की किस धारा के तहत खून बहाने की इजाजत है । या फिर कोई जनप्रतिनिधि जब खुलेआम किसी को जान से मारने की धमकी देता है, तो उस के पर कौन सी धारा लगती है ।
डॉक्टर जाकिर हुसैन ट्रस्ट के जरिए फर्जीवाड़ा की ख़बर  टीवी चैनल पर दिखाये जाने के कई दिनों के बाद जब खुर्शीद साहब मीडिया के सामने आए तो अपने गांव से एक गवाह को भी पकड़ लाये थे । कांपती आवाजों में जब गवाह ने माननीय मंत्री के हां में हां मिलाया, तो देश का कानून मंत्री इस कदर उछल पड़ा, जैसे गरीबी खत्म करने के लिए कितन बड़ा कानून बना दिये हों । ये अलग बात है कि पत्रकारों का जवाब देते- देते मंत्री महोदय को दस गिलास पानी पीना पड़ा । फिर भी एक चैनल के पत्रकार को एक ही सवाल पूछने की इजाजात दी ।
     इंदिरा गांधी के समय राजनीति की शुरुआत करनेवाले खुर्शीद साहब वाणिज्य मंत्रालय से अल्पसंख्यक मंत्रालय और कानून मंत्रालय तक को देख चुके हैं । सलमान खुर्शीद पूर्व केन्द्रीय मंत्री खुर्शीद आलम खान के बेटे हैं । पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर जाकिर हुसैन के नाती हैं ।  दुनिया के गिने चुने यूनिवर्सिटी में सुमार ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़कर अब वहां के बच्चों को तालिम भी देते हैं ।  देश के वरिष्ठ वकीलों में खुर्शीद साहब को जाना जाता है । वो राइटर भी हैं । लेकिन हैरान करने वाला सवाल ये है कि इतने अलंकारों से जड़ित खुर्शीद साहब महज एक आरोप पर कैसे बौद्धिक रूप से नंगे हो गए ।  

2 टिप्‍पणियां:

  1. रक्षक ही जब भक्षक बन जाए तो क्या कहने...कानून मंत्री ही कानून तोड़ने की बात करे तो फिर क्या कहने शायद इस ओहदे पर रहने का ही खुमार है जो उन्हें कुछ भी बोलने और करने को आमादा कर रहा है...

    जवाब देंहटाएं