मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

केजरीवाल के नाम एक चिट्ठी

केजरीवाल जी, नमस्कार
 
मैं एक आम आदमी हूं। लेकिन टोपी नहीं पहनता। रोज डीटीसी की बस और मेट्रो में धक्के खाकर दफ्तर पहुंचता हूं। किसी सियासी पार्टी का सदस्य नहीं हूं।दिल्ली का मतदाता जरूर हूं। आपको ये चिट्ठी इसलिए लिख रहा हूं क्योंकि आप बार-बार आम आदमी की दुहाई देते हैं। इसलिए लगा कि थोड़ी अपनी बात आप से शेयर कर लूं।

सबसे पहले आपको ऐतिहासिक जीत के लिए अनेक-अनेक शुभकामना। उम्मीद है कि आप ने जिस रास्ते पर चलने का वादा किया, उसी पर अडिग रहेंगे। मैं आपसे ये उम्मीद इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि लोकतंत्र में उम्मीद और भरोसा बहुत जरूरी है। 

जनता ने आपकी बात मान ली है। 5 साल केजरीवाल। साथ में जिम्मादारियों का पुलिंदा आपके कंधों पर लाद दिया है। उम्मीदों से कहीं बड़ा। जीत के लिए आप खुश होइए। लेकिन उससे ज्यादा आपको ये सोचने की जरूरत है कि आप उसे पूरा कैसे करेंगे। ये मत सोचिएगा कि विपक्ष नहीं है। आपकी सरकार के विपक्ष में खुद जनता होगी। मीडिया होगी। खासकर सोशल मीडिया।

आप सरकार में रहेंगे तो आपके काम की निंदा होगी। आपकी आलोचना होगी। जो जरूरी भी है। भगवान आप में और 'आप' के कार्यकर्ताओं में आलोचना सहने की शक्ति दें। जिस तरह से आपने अपने कार्यकर्ताओं को आज अहंकार से दूर रहने की नसीहत दी। उम्मीद है कि आप खुद इससे दूर रहेंगे। समय-समय पर अपने समर्थकों को ऐसे ही आगाह करते रहेंगे। नहीं तो आप बिखर जाएंगे।

एक बार भगोड़े की ठप्पा लग चुकी है। फिर ऐसी गलती मत करिएगा। हर बार मासूमियत को माफी नहीं मिलती। आप धरना से ज्यादा डिलवरी पर ध्यान दीजिएगा। क्योंकि अभावों में जीनेवाली जनता में धैर्य की थोड़ी कमी होती है। आप हकीकत में क्या हैं, पता नही। लेकिन लोगों ने आपको मसीहा बना डाला।आपको मसीहे की तरह काम करना होगा। भरोसा का टूटना बहुत बुरा होता है।

इस बार 5 साल का मैंडेट है। पूर्ण बहुमत। काम करने की पूरी आजादी। जनता कोई बहानेबाजी नहीं सुनेगी। अपने हर वादे को पूरा करने की कोशिश कीजिएगा। आंकड़ों में जनता को मत उलझाइएगा। भीड़ देखकर भागिएगा मत। प्लान बनाकर काम कीजिएगा। अच्छा रहेगा। आपके लिए। जनता के लिए। हां, सकारात्मक सियासत करिएगा। आरोप लगाने के बदले चुपचाप कार्रवाई कीजिएगा। अच्छा लगेगा।

पता है आपको। आज रिक्शावाले बहुत खुश थे। रेहड़ी और खोमचे वाले कूद रहे थे। आरटीवी बस का कंडक्टर और ड्राइवर आप ही की जय जयकार कर रहे थे। उन्हें लग रहा था कि उनकी जीत हुई है। उनकी अपनी सरकार बननेवाली है। अब वही होगा जो वे सोचते हैं। आपको पता है कि उन्हें क्या चाहिए। उनको आहत मत कीजिएगा।

आपकी पार्टी का जन्म राजनीति का ढंग बदलने के लिए हुआ था। आपने सियासत में शूचिता का वादा किया था। याद रखिएगा इसे। सफलता के साथ अहंकार और लोभ आते हैं। आपकी टीम अगर इसकी चपेट में आई तो कहीं का नहीं रहिएगा। विकल्प बने हैं तो कसौटी पर खरा उतरिएगा। आप से उम्मीद है कि राजनीति को उस दहलीज पर ले जाएंगे जहां लोग उसे उत्कृष्ट नजरों से देखें। नहीं तो लोगों को बड़ा धक्का लगेगा। 

लोगों को इससे ज्यादा मतलब नहीं है कि आप मेट्रो में चढ़ें या रिक्शा में। आप रामलीला मैदान में शपथ लें या विधानसभा में। लोगों को चाहिए कि कोई उसे घूस के लिए तंग न करे। पानी-बिजली का बेलगाम बिल ना भरना पड़े। लोगों के बीच रहिएगा। आम आदमी बनकर। इज्जत मिलीगी। शोहरत मिलेगी। हां, कसम मत खाइएगा। न खिलाइएगा। बस सब पर नजर बनाए रखिएगा। इतना ही काफी होगा।

शुभकामनाओं के साथ

एक आम आदमी (टोपी रहित)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें