शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

हम कौन हैं

(पाकिस्तान से भारत पहुंची समझौता एक्सप्रैस रेलगाड़ी से पाकिस्तानी 12 हिंदू परिवारों के करीब 32 सदस्य अपने वतन को सदा के लिए अलविदा कहकर भारत पहुंचे... )

  हम कौन हैं । किसके हैं । कहां के हैं । क्या हैं । खुद का पता ढूंढ रहे हैं । पता ढूंढूते-ढूंढ़ते शरहद पार पहुंच चुके हैं । चूकि भारी तदाद में हैं । इसलिए हम हैं । लेकिन सवाल वही, कि आखिर हम कौन हैं ।
   जहां जन्म लिया । जहां पला -बढ़ा । बड़ा हुआ । जहां कि मिट्टी को मां की तरह पूजा । वहीं दुत्कार मिल रही है । इज़्जत के साथ खिलवाड़ हो रहा है । धर्म, जाति से लेकर अस्तित्व तक पर बन आई है । जबरन धर्म बदल दिया जाता है । पता नहीं कब बेटी बुरके में शौहर के साथ घर लौटे । खूबसूरती की कीमत चुकानी पड़ती है हमारी बेटियों को । पता नहीं कब मनीषा, मुमताज बन जाए । कब बेटा सुनील के शमशाद बनने की ख़बर मिले । पता नहीं कब कुछ वहशी दीवारों को तोड़कर बेछत कर जाए । 
      कौमी झंडा बनानेवाले अमीरूद्दीन किदवई पर गुस्सा आ रहा है । क्या सोचकर उन्होंने झंडे में हरे के साथ सफेद रंग डाला था । कि बहुसंख्यक के नीचे अल्पसंख्यक फलेत-फुलते रहेंगे । खिलखिलाएंगे । लेकिन उनके अनुयायियों ने तो सफेद का दूसरा मतलब ही समझ  बैठा । मुल्क से अल्पसंख्यक को साफ करने पर तुले हैं। डर डर के जी रहे हैं । या यूं कहें कि मर मर के जी रहे हैं ।
    पूरे देश में कभी हम लाखों में थे । अब महज हजारों में हैं । दुनियाभर में मानव अधिकार की दुहाई देनेवाले यहां मौन हैं । आंखों पर पट्टी बंधी हुई है । हमारे दर्द पर किसी की नज़र नहीं पड़ती । हमारे लिए किसी सम्मेलन में बहस नहीं होती । हमारी पीड़ा कभी आवाज नहीं बनती । हम राजनीतिक दलों के एजेंडे में शामिल नहीं होते । चौराहों पर रजानीति हंगामे में हमारी बात नहीं होती । देश के लीडरान भरोसा देने में जुटे हैं । और उनके अपने बेघर करने में लगे हैं ।
 मुल्क में अत्याचार है । प्रांत पार जाने पर भी दुत्कार है ।  शक भरी नज़रों से देखा जाता है । माथे पर शरणार्थी का ठप्पा लगा दिया जाता है । महज कुछ महीनों का मेहमान बनकर रहते हैं । हमारे सपने बिना मिट्टी के दफन हो जाते हैं । हम किसी के नहीं बन पाते हैं ।  हम कहां जाएं । क्या करें । आखिर हम भी इंसान हैं ।  

2 टिप्‍पणियां:

  1. कभी ये लगता है अब ख़त्म हो गया सब कुछ - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं